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गज केसरी योग

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गज केसरी योग

ज्योतिष में गज केसरी योग को राजयोग के रूप में देखा जाता है। ज्योतिष में गज केसरी योग को असाधारण योग की श्रेणी मे रखा गया है। यदि आपकी कुंडली में गज केसरी योग सही प्रकार से बना है तो आप निश्चित रूप से स्वास्थ्य, संपन्नता और संपत्ति के स्वामी होंगे। परंतु कभी -कभी यह देखने में भी आया है कि गज केसरी योग होने पर भी सुख और संतोष से दूर होते हैं। इसके पीछे कौन से कारण होते हैं और इनसे मुक्ति के क्या उपाय हैं? आइए…इस लेख के द्वारा हम यह जानने का प्रयत्न करते हैं-

गज केसरी योग
गज केसरी योग

ज्योतिष के अनुसार गज केसरी योग क्या होता है-

कुंडली में यह योग होने पर चंद्रमा अथवा चंद्र लग्न को गुरु या दूसरे शुभ ग्रह शक्ति और लाभ प्रदान करते हैं। चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है और इसका संबंध जल से होता है। व्यक्ति के मान, सम्मान, धन, स्वास्थ्य, शक्ति, धैर्य प्राप्ति में इनका मुख्य योगदान होता है।

बहुत से व्यक्तियों की कुंडली में गज केसरी योग होने के पश्चात भी उनका जीवन संघर्षों से भरा देखा गया है। बहुत से कारण होते हैं जो राज केसरी योग पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। बहुत बार कुंडली में बन रहे इस योग के प्रभाव को अन्य योग भंग कर देते हैं और व्यक्ति भाग्य का धनी होते हुए भी संघर्षों में अपना जीवन व्यतीत करता है। विडंबना यह है कि व्यक्ति को इस बात का पता तक नहीं होता। राजकेसरी योग के फलादेश में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है-

  1. शुभ गुरु-चंद्र – जब भी किसी की कुंडली में गज केसरी योग से प्राप्त होने वाले फलों पर विचार किया जाता है, तो गुरु और चंद्रमा के भावों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। गुरु की शुभता का प्रभाव इस योग पर विशेष रूप् से पड़ता है। यदि गुरु और चंद्रमा के भावों में अशुभता का समावेश है जो इस योग का लाभकारी प्रभाव कम हो जाता है।
  2. चंद्र का नकारात्मक स्थिति में होना – यदि किया व्यक्ति की कुंडली में चंद्र की स्थिति नकारात्मक है, तो इसे गज केसरी योग के अनुकूल कदापि नहीं समझा जाएगा। यदि चंद्र के पहले, दूसरे तथा बारहवें भाव में कोई ग्रह न हो और चंद्र भी केमद्रुम योग में न हो, तो यह गज केसरी योग के लिए अत्यन्त लाभकारी माना जाता है। परंतु यदि चंद्र गंडान्त में हो, उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो यह गज केसरी योग के लाभ पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
  3. गुरु और चंद्र का अशुभ योग – जब गुरु से चंद्र छठे, आंठवें अथवा बारहवें स्थान पर होता है, तो शकट योग का निर्माण करता है। इस योग को बनने का कारण गुरु से चंद्र की शडाष्टक भाव में होना है, इसलिए यह अनिष्टकारी फल देता है।
  4. गज केसरी योग और केमद्रुम योग – गुरु के चंद्र के केंद्र में होने से गज केसरी योग बनता है। इस योग से लाभकारी फल प्राप्त करने के लिए चंद्र के दोनों ओर के भावों में सूर्य, राहू-केतू के अतिरिक्त अन्य पाँच ग्रहों में से किसी भी ग्रह का उपस्थित होना आवश्यक है।
  5. गुरु का नकारात्मक स्थिति में होना – गुरु यदि वक्री हो तो गज केसरी योग से होने वाले लाभों में कमी आ जाती है। यदि कोई पाप ग्रह इस योग पर नकारात्म्क दृष्टि डाल रहा हो, तो संभावना यह होती है कि उस ग्रह की अशुभ विशेषताएँ इस योग में भी आ जाएँ।
  6. गुरु और चंद्रमा की शुभ दृष्टि – आपकी कुंडली में यदि गुरु और चंद्रमा उच्च स्थिति में हैं, तो यह गज केसरी योग आपको बहुत ही शुभ परिणाम देगा। यदि इन दोनों मंे से एक भी ग्रह अपनी मुलकोण राशि में विराजमान हो और दूसरे ग्रह की स्थिति भी शुभ हो, तो भी गज केसरी योग का लाभकारी प्रभाव बना रहता है।
  7. ग्रहो की दशा का गज केसरी योग पर प्रभाव – कुंडली में बन रहे किसी भी योग का परिणाम उससे संबंध रखने वाले ग्रहों की दशाओं पर निर्भर करता है। बहुत बार ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में धनयोग और राजयोग होते हैं, परंतु ग्रहों की महादशा नहीं बन रही होती। इस कारण उस व्यक्ति की कुडली में बन रहा धनयोग और राजयोग फलहीन हो जाते हं। गज केसरी योग भी केवल तभी फलदायक सिद्ध होता है जब इस योग को गुरु और चंद्र की महादशा की प्राप्ति हो रही हो।

सामान्यतः यह देखा गया है कि गज केसरी योग का लाभकारी फल केवल उन्हीं व्यक्तियों को प्राप्त हुआ है, जो  गुरु या चंद्र की महादशा में पैदा हुए हैं।

इसके अतिरिक्त गुरु या चंद्र की अंतर्दशा में पैदा हुए व्यक्तियों को भी गज केसरी योग का शुभ फल मिलता है।

  1. प्रसिद्ध व्यक्तियों की कुंडली में गज केसरी योग – अनेक प्रसिद्ध व्यक्तियों की कुंडलियों में गज केसरी योग देखा गया है, जो इस प्रकार से हैं-

महात्मा गाँधी

जार्ज केनेडी

रणवीर कपूर

अक्षय कुमार

राहुल द्रविड

गज केसरी योग के फल –

ऋषि पराशर के अनुसार यदि किसी की कुंडली में गज केसरी योग हो, तो व्यक्ति कुशल, योग्य, अति बुद्धिमान, वाक् कला में निपुण, राजसी सुखों को प्राप्त करने वाला होता है।

गज अर्थात हाथी को बुद्धिमान और ज्ञान का प्रतीक माना गया है। हाथी के समान ही इस योगयुक्त व्यक्ति को भी अपनी बुद्धि और योग्यता पर अभिमान नहीं होता। इस योग से व्यक्ति यशस्वी बनता है। गज केसरी योग व्यक्ति की आयु भी बढ़ाता है।

गज केसरी योग होने पर निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

  • गज केसरी योग होने पर धन की प्राप्ति – गुरु और चंद्र समस्त ग्रहों में धन कारक ग्रह माने जाते हैं। यदि इनका योग भली प्रकार से बने, तो गज के समान धन की प्राप्ति होती है।
  • गज और सिंह के समान योग्यताएं – यह योग व्यक्ति को सिंह और गज की विशेषताएं प्रदान करता है।
  • व्यवसायिक क्षेत्र में इस योग के फल – गज केसरी योग जब चैथे और दसवें भाव में बनता है, तो उस व्यक्ति का अपने कार्यक्षेत्र में वर्चस्व रहता है। जब कुंडली में चंद्र किसी किसी अशुभ योग में सम्मिलित न हो, तो गाज केसरी योग का लाभ पूर्ण रूप से प्राप्त होता है।